यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

कैसे - कैसे कमाल होते हैं

कैसे - कैसे  कमाल  होते  हैं

झूठ के भी  सवाल  होते  हैं

 

आजकल भाव ऐसे भी आते

बोल के सच मलाल होते हैं

 

आज-कल सच को जेल होती है

और   झूठे     बहाल   होते  हैं

 

बात कई बार  होती वाज़िब है

फिर भी उन पर बवाल होते हैं

 

किसी की हैसियत को मत आंको

तम  में  जुगनू  मशाल  होते  हैं

 

पवन तिवारी

०६/०४/२०२१

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