यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

श्रेष्ठ रचना

किसी किसी दिन विचार आते हैं

डंडा लेकर !

मन को हाँकने,

शब्दों की ओर

ताकि कर सकूँ उन्हें लिपिबद्ध

और मैं कर देता हूँ विद्रोह !

पढ़ता हूँ नये - नये शब्द

 

किसी किसी दिन मन

जोर देकर कहता है , सुनाओ

ख़ूब सुनाओ ! और मैं,

कर देता हूँ प्रतिकार और

सुनता हूँ किसी ऐसे की बात

जो सुनाना तो चाहता है ख़ूब,

किन्तु उसे कोई नहीं सुनता !

 

किसी दिन जब

ऐसा करके लौटता हूँ .

मेरे चेहरे पर

एक गुदगुदी सी होती है;

मैं, हँसी को दबाता हूँ तो,

वह विद्रोह कर देती है और

अकेले रास्ते पर

पागलों की तरह

ठहाके लगाने के बाद

कहीं गहरे

ख़ुद में डूब जता हूँ !

तब का भाव

न व्यक्त कर पाना ही

मेरी श्रेष्ठ रचना होती है !

 

पवन तिवारी

०५/०४/२०२१

 

 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें