नेता
विशेषणों से अब तो गाली बन
गया
कविता
का मोल कुछ करों की ताली बन गया
ऐसे करेंगे
नाम क्या जिनकी
मुराद बस
खुश
हैं कि उसके होठों की वो लाली बन गया
वो नागफनी हुश्न के साँचे में पड़ा तो
पलक
झपें फूल भरी डाली बन गया
जो
रोज नोचता था बगीचों के फूल को
उसकी
अदा को देखते ही माली बन गया
पवन
तिवारी
१३/०३/२०२१/
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