यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

तुम समझना चाहते नहीं

तुम समझना चाहते नहीं तो क्या करूँ

तुम ठहरना चाहते  नहीं तो क्या करूँ

 

ऐसे ही नहीं मिलते दुनियादारी के मोती

तुम भटकना  चाहते नहीं  तो  क्या करूँ

 

अख्तियार कहने भर को था सो कह दिया

तुम  बदलना  चाहते  नहीं  तो  क्या करूँ

 

सज धज के घर निकली  सभी देखते रहे

तुम मचलना  चाहते  नहीं तो क्या करूँ

 

प्यासी भी हूँ सावन भी हैं और कैसे बताऊँ

तुम  बरसना  चाहते   नहीं  तो  क्या करूँ

 

प्यार में कुछ बात  बिन कहे  कही जाती

तुम बहकना चाहते  नहीं  तो  क्या करूँ 

 

पवन तिवारी

१५/०३/२०२१

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