तुम
समझना चाहते नहीं तो क्या करूँ
तुम
ठहरना चाहते नहीं तो क्या करूँ
ऐसे
ही नहीं मिलते दुनियादारी के मोती
तुम
भटकना चाहते नहीं तो
क्या करूँ
अख्तियार
कहने भर को था सो कह दिया
तुम बदलना
चाहते नहीं तो
क्या करूँ
सज
धज के घर निकली सभी देखते रहे
तुम
मचलना चाहते नहीं तो क्या करूँ
प्यासी
भी हूँ सावन भी हैं और कैसे बताऊँ
तुम
बरसना
चाहते नहीं तो
क्या करूँ
प्यार
में कुछ बात बिन कहे कही जाती
तुम
बहकना चाहते नहीं तो
क्या करूँ
पवन
तिवारी
१५/०३/२०२१
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