यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 4 अप्रैल 2022

प्रेम और छल



जीना मरना बराबर हुआ आजकल

सहजता से कटे ना कटे एक पल

जग जिसे कहता मेरा उसी ने ठगा

नैन छलके छलाछल किया ऐसा छल

 

 

वो मेरी प्यास का सबसे पावन था जल

मेरा साहस वही मेरा था धैर्य बल

किंतु दुष्कर समय में गिराया मुझे

प्रेम समझा जिसे था लगा शुद्ध खल

 


मन कहे रिश्तों से अब कहीं दूर चल

प्रेम विश्वास में यदि मिले ऐसे फल

मन के मंदिर में रखना नहीं अब मनुज

प्रभु को स्थान दे देंगे वे सबका हल

 

 

 

२४/०३/२०२१

 

 

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