जीना मरना बराबर हुआ आजकल
सहजता से कटे ना कटे एक पल
जग जिसे कहता मेरा उसी ने ठगा
नैन छलके छलाछल किया ऐसा छल
वो मेरी प्यास का सबसे पावन था जल
मेरा साहस वही मेरा था धैर्य बल
किंतु दुष्कर समय में गिराया मुझे
प्रेम समझा जिसे था लगा शुद्ध खल
मन कहे रिश्तों से अब कहीं दूर चल
प्रेम विश्वास में यदि मिले ऐसे फल
मन के मंदिर में रखना नहीं अब मनुज
प्रभु को स्थान दे देंगे वे सबका हल
२४/०३/२०२१
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