यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 22 मार्च 2022

यादों में जवानी है

यादों में जवानी है

तेरी उसमें कहानी है

जब भी उसमें डूबूँ

पानी सी रवानी है

 

 

यादों में  मिले हँसता

जैसे  सुंदर  सा बस्ता

वो प्यारा सी डिम्पल

था गालों  में  धँसता

 

जब भी दिल दुखता है

दिल  मुझसे  कहता है

मैं  प्यार  करूँ तुझको

तू  दवा  सा  रहता है

 

जब प्यार की बातें हों

कुछ  धुन  में गाते हों

तू बरबस याद आये

जब सर्द सी रातें हों

 

तू ना होकर  भी है

पाया खोकर भी है

तेरे प्रेम की स्मृति में

हँसना रोकर भी है

 

पवन तिवारी

०५/०२/२०२१

 

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