मन
में छल था सो कमियाँ लगे ढूंढने
डोर
विश्वास
की ही लगे लूटने
रूठने
फक्त दौलत की ख़ातिर लगे
रिश्ता
मतलब का था सो लगा टूटने
मैं
तेरा फ़क्त था
मैं तेरे पास था
फासला
कर दिया इक तेरे झूठ ने
ग़ैर
को रिश्ते का था पता दे दिया
ज़ख्म
गहरा किया आपसी फूट ने
यादों के सूखे से सारे
पत्ते दिखे
प्यार
के सारे किस्से लगे छूटने
जिसने
तोड़ा हो दिल उससे जुड़ता नहीं
एक हिस्सा उल्ट
लगता है सूखने
अर्थ
की भूख ने तुझको क्या कर दिया
तेरा
हर हिस्सा खुलकर लगा चीखने
सोचे
बिन जो किया सो मिला ये सिला
दाग़
तुझको दिया तेरी इक
चुक ने
पवन
तिवारी
०२/०२/२०२१
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