यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

ज़िन्दगी और भी तो गाती है

ज़िन्दगी और  भी  तो  गाती है

कौन कहता कि  बस, सताती है

दुःख तो स्थायी साथी है उसका

किन्तु सुख को भी लेके आती है

 

यही जो दुःख में  गुनगुनाती है

रोती  खुद  ग़ैर  को  हँसाती है

लोग  यूँ  ही  नहीं मरते  इसपे

ख़ुशी में भी  गज़ब  रुलाती है

 

ज़िन्दगी के  लिए मरते  कितने

ज़िन्दगी के  लिए गिरते कितने

ज़िन्दगी को कहे जग जाने क्या

ज़िन्दगी  पा के निखरते कितने

 

क्या कहूँ तुझको लाजवाब है तू

नहीं  हिसाब   बेहिसाब  है  तू

तेरे बिन  शून्य  है  जगत सारा

प्रकृति का  श्रेष्ठतम जवाब है तू

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

१६/१२/२०२०

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