हे
खेत मेरे तुझको प्रणाम,तू ही है मेरा काम धाम
तुझसे
मेरी हैसियत बनी,तेरे कारण है किसान नाम
हे
खेत मेरे तुझको प्रणाम !
तेरी
मिट्टी सर माथे पर, तुझसे ही है मेरी घर - घर
तेरी
मेंड़े सुख देती हैं, जब बैठ के देखूँ हरी डगर
तेरे
कारण मज़बूत चाम, हे खेत मेरे तुझको प्रणाम !
तेरे
फैले ये भुज विशाल, तू है धरती का प्रथम लाल
तू
अनन्य दूबों का पालक, मिट्टी दमकाये तेरा भाल
तू
है प्रकृति का पुण्य वाम, हे खेत मेरे तुझको प्रणाम !
तेरे कारण गन्ना मिलता, तेरे कारण है हल चलता
तेरे
कारण सरसों लहरे, तेरे कारण ही हिय खिलता
तेरे
कारण सब तामझाम, हे खेत मेरे तुझको प्रणाम !
तू
है तो गेहूँ धान चना, तू है किसान तो महामना
तेरे
कारण सर पगड़ी है, तू है किसान सो तना - तना
तूने
ही उदर को रखा थाम, हे खेत मेरे तुझको प्रणाम !
हँसिया,फावड़ा,
कुदाल सभी,रस्सी, खुरपा,खुर्पियाँ कभी
हाथे का
भी अस्तित्व बचा ,तेरे
कारण ये बचे अभी
अब
तक न हुई है इनकी शाम, हे खेत मेरे तुझको प्रणाम !
तू
सबकी दृष्टि में खटक रहा है कृषक तुझे ले भटक
रहा
हड़पना
तुझे सब चाह रहे, तुझे देख के नेता मटक
रहा
तेरे
कारण करे राम राम, हे खेत मेरे
तुझको प्रणाम !
पवन
तिवारी
संवाद-
७७१८०८०९७८
१४/१२/२०२०
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