पहले
नहीं मिला था
तो सोचता हर रोज
जब
मिल गया तो कहने लगा है गज़ब का रोग
कहने
को लोग कहते हैं भोगों में राज भोज
पर प्यार
भोग पाना है
सर्वश्रेष्ठ भोग
वैसे
तो जोग ज़िन्दगी में
होते तरह के
परिणय
जगत में किन्तु होता है श्रेष्ठ जोग
अस्त्रों
से लगी चोट
लोग भूल जाते
हैं
ज़िन्दगी
भर रहती है बस बात वाली चोट
निंदा
को जो अपना समझते रहे हैं धर्म
सज्जनों
में भी वो
हैं खोज लेते
खोट
पवन
तिवारी
संवाद
– ७७१८०८०९७८८
१३/१२/२०२०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें