यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

आज ये जो मिला

आज ये जो मिला  लागे महफिल मिली

सच कहूँ लग रहा  अपने मन की मिली

कह रहा आज दिल तुम खुलो तुम खुलो

खुलने  की  सोचते ही  ख़ुशी  है  मिली

 

दिल कहे आप को  देखकर  कुछ  कहूँ

और मस्तिष्क कहे  चुप रहूँ  चुप  रहूँ

बड़ी  उलझन  में  हूँ  सो  परेशान हूँ

उम्र भी  ऐसी कि   पीड़ा   कैसे  सहूँ

 

उम्र आयी तो दिल का धड़कना बढ़ा

हिय ने अपनी तरह से ही सपना गढ़ा

हिय मचलने का औसत बढ़ा दिन ब दिन

पर भटकता रहा लक्ष्य  पर ना चढ़ा

 

देखते ही तुम्हें  हिय ने ये सपना बुना

मैं  तुम्हें  चाहने  के   लिए   हूँ   बना

कुछ अधिक  जोश  उम्र  का  दोष  है

मेरे  अनुरोध  को  कर  न देना  मना

 

मैं  नया  हूँ  मेरा  भाव  अनुभव  नया

टूटने का है डर दिल भी बिलकुल नया

सो है सब कुछ प्रथम लाज रख लेना तुम

क्या  पता  गुल  खिले  खूबसूरत  नया

 

पवन तिवारी

३/०१/२०२१

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