आज
ये जो मिला लागे महफिल मिली
सच
कहूँ लग रहा अपने मन की मिली
कह
रहा आज दिल तुम खुलो तुम खुलो
खुलने की
सोचते ही ख़ुशी है
मिली
दिल
कहे आप को देखकर कुछ कहूँ
और
मस्तिष्क कहे चुप रहूँ चुप रहूँ
बड़ी उलझन में हूँ
सो परेशान हूँ
उम्र
भी ऐसी कि पीड़ा
कैसे सहूँ
उम्र
आयी तो दिल का धड़कना बढ़ा
हिय
ने अपनी तरह से ही सपना गढ़ा
हिय
मचलने का औसत बढ़ा दिन ब दिन
पर
भटकता रहा लक्ष्य पर ना चढ़ा
देखते
ही तुम्हें हिय ने ये सपना बुना
मैं तुम्हें
चाहने के लिए
हूँ बना
कुछ
अधिक जोश
उम्र का दोष है
मेरे अनुरोध
को कर न देना
मना
मैं
नया हूँ मेरा
भाव अनुभव नया
टूटने
का है डर दिल भी बिलकुल नया
सो
है सब कुछ प्रथम लाज रख लेना तुम
क्या पता
गुल खिले खूबसूरत
नया
पवन
तिवारी
३/०१/२०२१
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