जाड़े
वाली धूप का स्वाद भी बड़ा रसीला है
जाड़े
का भी रंग कहाँ कम
बड़ा छबीला है
चने
का साग कहीं सकपहिता कहीं मजे का भुरता
रंग
बिरंगा
स्वेटर टोपी बड़ा रंगीला है
गर्म-गर्म
गुड़ भूना आलू मटर
का क्या कहना
सुबह
शाम दोनों बेला ही आग के संग रहना
कुल्हड़
वाली चाय की चुस्की रह रह कर लेना
सी -
सी करना ठंडी – ठंडी हवा को भी सहना
बिना
बजाये दांत बजे और काँप उठे सब रोयें
जाड़े
के आतंक के कारण मुँह तक ना धोयें
और नहाना हप्तों
तक ना हाथ पैर धोना
और रजाई के
आँचल में देर तलक सोये
जाड़े
का बाजे जब बाजा तब सब खाना खायें ताज़ा
सब
पूरे परिधान में दिखे जैसे सबके सब
हैं राजा
जाड़े
की महिमा न्यारी है जितना खाते पच
जाते
देख
समोसा गरम पकौड़ी जीभ कहे आजा - आजा
पवन
तिवारी
२५/१२/२०२०
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