सारा
जहाँ खोया खोया है लगता है सोया सोया है
भोर
मचलती है चाँद भी रोया – रोया है
ओस
तो चमक रही हवा भी प्यार से बही
सुमन
लगे खिलने हँसने लगी मही
प्रात
की सब माया निखरी हर काया
दिन
का बन गया दिन जग स्वर में गाया
भोर
सुहानी है बड़ी मस्तानी है
रात
में सोते सब इसको जगानी है
तृण भी गाते हैं सूरज आते हैं
रात
है छुप जाती दिन मुस्काते हैं
भोर
जी स्वागत है जग तुम्हें चाहत है
तुम्हरे
पग पड़ना दिन की आहट है
पवन
तिवारी
संवाद
– ७७१८०८०९७८
०८/१२/२०२०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें