बदन
पे उसके मेरा फूलदान अब भी है
गली
में मेरे भी उसका मकान अब भी है
सरे
बाज़ार कहा प्यार करता
है मुझसे
प्यार
की लाजवाब ऐसी शान अब भी है
हम
हैं आशिक पुरानी किस्मों के ये सब जाने
हमारे मुँह में
इक जोड़ा पान
अब भी है
दायरे
होते हैं
औरों के लिए
होते हैं
आशिकों
के लिए सारा जहां अब भी है
ये
सभी जानते हैं दिल की फ़कत दिल जाने
मगर
तुमको भी ख़बर जान जान अब भी है
बेटे
का जुर्म इश्क है तो हुआ सुनकर खुश
प्यार
के सिलसिले में खानदान अब भी है
रूठे-छूटे तो कोई बात नहीं छल है किया
प्यार
में दर्द का गहरा निशान अब भी है
पवन
तिवारी
संवाद-
७७१८०८०९७८
२४/०२/२०२१
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