यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 16 जनवरी 2022

कहता तो रूह से ही मिलने को आता है

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वो बेवफ़ा हुई तो आवारा मैं हुआ

मशहूर चलो यूँ  ही दुबारा मैं हुआ

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कहता तो रूह से ही मिलने को आता है

और  बदन से  ही  मिल करके जाता है 

 

जब भी मिला है तंज से की आवभगत है

हर बार ही वो थोड़ा सा सुख चैन खाता है

 

थोड़ा सा मिला दर्द तो रोने लगे हैं वो

जितना मिला है दर्द उतना सुर में गाता है

 

फुटपाथ के बच्चों को खिलाता है भीख से

इससे बड़ा क्या आदमी का कोई नाता है

 

पहली नज़र में लग गया तू चीज और है

पहली नज़र कौन कहाँ किसको भाता है

 

पवन तिवेरी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२५/०२/२०२१

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