दर्द
का भी नसीब
होता है
सच
के सबसे करीब होता है
ठोकरें
और ज़लालत मिलती
सच
का नश्शा अजीब होता है
खुशियों
से होती दुश्मनी उसकी
दिल
से जो भी गरीब होता है
फ़क़त
व्यवहार बताता सच है
कौन
कितना अदीब होता है
ग़ैर
के ग़म में जो रहें ग़मगीन
वो
ही आला नजीब होता है
पवन
तिवारी
संवाद
– ७७१८०८०९७८
२७/०२/२०२१
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