यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 16 जनवरी 2022

उन दिनों कैसी-कैसी बातें थी

उन दिनों कैसी-कैसी बातें थी

रात  को  दूधिया सी यादें थी

 

आज-कल दिन में लोग डरते हैं

अपनी तो अच्छी भली रातें थी

 

आज-कल  सब तरफ ही सूखा है

उन दिनों जोर  की  बरसातें थी

 

उन दिनों सब ही सब पे भारी थे

वहाँ न  जीत  ना  ही  मातें  थी 

 

जब भी मिलते थे हँसते लड़ते थे

अपनी  भेंटें   भी  खुराफ़ातें  थी

 

अब तो मिलते हैं बिछड़ने के लिए

पहले   तो   रोज   मुलाक़ातें  थी

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२३/०२/२०२१  

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