उन
दिनों कैसी-कैसी बातें थी
रात को
दूधिया सी यादें थी
आज-कल
दिन में लोग डरते हैं
अपनी
तो अच्छी भली रातें थी
आज-कल
सब तरफ ही सूखा है
उन
दिनों जोर की बरसातें थी
उन
दिनों सब ही सब पे भारी थे
वहाँ
न जीत
ना ही मातें
थी
जब
भी मिलते थे हँसते लड़ते थे
अपनी भेंटें
भी खुराफ़ातें थी
अब
तो मिलते हैं बिछड़ने के लिए
पहले तो
रोज मुलाक़ातें थी
पवन
तिवारी
संवाद-
७७१८०८०९७८
२३/०२/२०२१
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