दुश्मन
को मेरे आँसुओं से कितना प्यार है
खारा
है फिर भी चाहता वो बेशुमार है
बाहर
से वैसे रोया हूँ पर उसका एक छल
अंदर
से रो रहा हूँ ये
तो पहली बार है
ये
बहकी बातें कह रही बुखार प्यार का
मीठा
लगे है उसको जबकि आँसू खार है
जीवन
के कायदों से उलट प्यार के नियम
प्यार में
जीते हुओं की
होती हार है
कहते
समय की मार होती आला बड़ी है
भारी समय
पे भी इशक की
मार है
पवन
तिवारी
संवाद
– ७७१८०८०९७८
०४/०३/२०२१
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