यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 24 जनवरी 2022

माटी के दीये

माटी के दीये  माटी में  जलते हैं.

कुछ पुष्प हैं जो जल में खिलते हैं

होते रंग जगत  के  भी अनगिन

अब कागज के  पुष्प भी मिलते हैं

 

कुछ अच्छे लोग भी बुरे होते हैं

अच्छे गायक भी बेसुरे होते हैं

मृत्यु से बढ़कर भी अचम्भा कुछ नहीं

जान बचाने वाले भी बुरे होते हैं

 

भूख  से लोग अक्सर मरते हैं

लोग  खाने  से  भी  मरते  हैं

मरने के लिए बस बहाना चाहिए

लोग फिसलने से भी मरते हैं

 

मन का  पाकर  के खुश होते  हैं

कुछ अकारण  भी खुश  होते हैं

खुश होने  का कोई नियम नहीं 

बच्चे उछल  के भी  खुश  होते हैं

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

१४/११/२०२०

 

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