मुसलसल
दुश्मनी दिल से निभाता जा रहा है
दुश्मनों
की गली से भी वो गाता जा रहा है
वो
मुझसे प्यार करता है मैं ये भे जानता हूँ
मगर
फिर भी ये मन कमियाँ गिनाता जा रहा है
वो
पहले ही बहुत रोया है आँखें सूज आयी हैं
उसी
को घाव अपने सब दिखाता जा रहा है
उसे
है नींद आने को झपकने हैं लगी पलकें
कि
फिर भी अनवरत क़िस्सा सुनाता जा रहा है
उसे
आदत है गाने की सो दुःख दुःख भी गा रहा है
मेरा
दिल भी उसी को गुनगुनाता जा रहा है
सुलगता
जा रहा है घाव देकर भी पवन वो
हमारे घाव
कोई और भरता
जा रहा है
पवन
तिवारी
संवाद-
७७१८०८०९७८
२२/०२/२०२१
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