यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 26 सितंबर 2021

मृत्यु और जीवन

पथिक हैं सब  मृत्यु  के

और ज़िन्दगी की बात करते

आशा  के  उदात्त दीपक

मृत्यु से  दो हाथ  करते  

 

अचरजों में ये ही अचरज

शेष  केवल   डुगडुगी  हैं

और  जो   संघर्ष  करते

मृत्यु  में  वो  गुदगुदी है

 

जन्मदिन के हैं जो  उत्सव

मृत्यु  से  वो  निकटता है

आदमी   का   हर्ष   ऐसा

मृत्यु  को   भी खटकता है

 

दुखी   सबसे   मृत्यु  है

मुझ पर भी हँसता आदमी

अंत  में  जीतूंगी  मैं  ही

फिर भी  लड़ता  आदमी

 

इसलिए जग  में है  स्थिर

आदमी   का  प्रभा  मंडल

मृत्यु को  हरदम  छकाता

लेके  गंगा  जल  कमंडल

 

पवन तिवारी

संवाद- ७७१८०८०९७८

२९/०९/२०२०  

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