यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 25 सितंबर 2021

प्रात की आहट

नीम पर भी चहचहाहट बढ़ रही है

दृश्य की स्पष्टता भी बढ़ रही है

बदन से जाने लगा आलस्य भी है

सूर्य की जग से निकटता बढ़ रही है

 

बर्तनों की टुन्न खन-खन बढ़ रही है

धुओं की तादाद भी अब बढ़ रही है

बिस्तरे खाटों से लगभग हट चुके हैं

खिड़कियों से रोशनी भी बढ़ रही है

 

फड़फड़ाहट पंछियों की बढ़ रही है

द्वार पर झाडू की भी गति बढ़ रही है

पशुओं के खूँटा बदलने लग गया है

घूर की भी हैसियत अब बढ़ रही है

 

ज़िन्दगी अब तीव्र गति से बढ़ रही है

और वातावरण  में  ध्वनि बढ़ रही है

सूर्य के स्वागत में हर पग चल पड़ा है

सुबह  जीवन संग  लेकर  बढ़ रही है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२९/०९/२०२० 

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