आओ दुःख के बीच हँसे
हम
दूजे के गम में भी
धँसे हम
निज हित देख सभी
जाते हैं
परहित में भी थोड़ा
फँसे हम
आओ ना गम
को गाते हैं
मुस्का करके धकियाते
हैं
हमें दिखाने
भय आया है
स्वागत कहकर
डरवाते हैं
दुःख के ऊपर
खूंटा गाड़ो
उसे अहं के
कपड़े फाड़ो
फिर देखो वो क्या
करता है
स्थिर होकर उसको
ताड़ो
दुःख को पहले
तुम्हीं डरा दो
धैर्य धर्म से
उसे हरा दो
फिर सुख तुम्हरे घर
आयेगा
स्नेह से उसका घड़ा
भरा दो
सुख में नम्र सदा ही
रहना
धर्म की धारा में ही बहना
सुख फिर समृद्धि ले
आयेगा
परहित में कटु शब्द
भी सहना
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
२७/०८/२०२०
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