यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 9 अगस्त 2021

आओ दुःख के बीच हँसे हम

आओ दुःख के बीच हँसे हम

दूजे के गम में भी धँसे हम

निज हित देख सभी जाते हैं

परहित में भी थोड़ा फँसे हम

 

आओ  ना  गम को गाते हैं

मुस्का करके   धकियाते  हैं

हमें  दिखाने  भय  आया है

स्वागत  कहकर  डरवाते  हैं

 

दुःख के  ऊपर  खूंटा गाड़ो

उसे अहं  के  कपड़े  फाड़ो

फिर देखो वो क्या करता है

स्थिर होकर  उसको  ताड़ो

 

दुःख को पहले तुम्हीं डरा दो

धैर्य  धर्म से  उसे  हरा दो

फिर सुख तुम्हरे घर आयेगा

स्नेह से उसका घड़ा भरा दो

 

सुख में नम्र सदा ही रहना

धर्म की धारा  में ही बहना

सुख फिर समृद्धि ले आयेगा

परहित में कटु शब्द भी सहना

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२७/०८/२०२०  

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