जीवन का पहला लक्षण है
रोना रोना जोर से रोना
रोने से फिर कैसा डरना
हर घर में है इसका
कोना
भय के रूप अनेक
मिलेंगे
साहस को कंधे पर
रखना
हर मौसम से मिलते
रहना
जीवन के षटरस को
चखना
यत्न बहुत करता है बादल
नभ तो ज्यों का
त्यों रहता है
दृढ़ता का सम्मान
अलग है
ध्रुव का मान जगत करता है
डिगता है विचलन से
जीवन
घबराता स्थिर मन से
मन
धैर्य धर्म मिल
स्थिर करते
इनसे रखना कभी न
अनबन
पग-पग पर मिलते ही
घाव हैं
जीवन के कई - कई
पड़ाव हैं
दृढ़ता ध्येय पकड़ के रखना
गर्मी में मिलते
अलाव हैं
जीवन के तो रंग बहुत हैं
सुख–दुख तो जीवन के
ठाँव हैं
इनसे बिठा लिए
सामंजस्य तो
फिर जीवन अपना ही गाँव है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
25/08/2020
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