यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 7 अगस्त 2021

जीवन का पहला लक्षण है

जीवन का पहला लक्षण है

रोना रोना जोर  से  रोना

रोने से फिर  कैसा  डरना

हर घर में है इसका कोना

 

भय के रूप अनेक मिलेंगे

साहस को कंधे पर रखना

हर मौसम से मिलते रहना

जीवन के षटरस को चखना

 

यत्न  बहुत  करता है बादल

नभ तो ज्यों का त्यों रहता है

दृढ़ता  का  सम्मान अलग है

ध्रुव का मान  जगत करता है

 

डिगता है विचलन से जीवन

घबराता स्थिर  मन  से मन

धैर्य  धर्म  मिल स्थिर करते

इनसे रखना कभी न अनबन

 

पग-पग पर मिलते ही घाव हैं

जीवन के कई - कई पड़ाव हैं

दृढ़ता ध्येय  पकड़ के रखना

गर्मी  में  मिलते  अलाव  हैं

 

जीवन  के  तो  रंग बहुत हैं

सुख–दुख तो जीवन के ठाँव हैं

इनसे बिठा लिए सामंजस्य तो

फिर जीवन  अपना ही  गाँव है

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com 

25/08/2020     

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