मेरी गली धूल मेरा द्वार
मेरी माटी
मेरे खेत बाग़ ये
तालाब मेरी थाती
ये नीम पीपल ये महुआ
ये बरगद
माँ भाभी बाबू जी
जीवन की बाती
त्योहार की लड़ियाँ जीवन
बनाती
होली दीवाली उमंगे
ले आती
धोती कुर्ते का सलीका है
प्यारा
शादी में हँस हँस के
गाली दी जाती
नून तेल चोखा से
बन जाये बात
दो जोड़ी कपड़े में निभ जाये साथ
मेल कराती है
बेर आम इमली
नौटंकी देखन में कट जाये रात
एक ही रजाई में तीन - तीन लोग
ठाकुर जी को लागे गुड़ वाला
भोग
गाँव भर लगे है चाचा भईया, काकी
सुंदर कितना है जी रिश्तों का जोग
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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