यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 10 अगस्त 2021

मेरी गली धूल मेरा द्वार मेरी माटी

मेरी गली धूल मेरा द्वार मेरी माटी

मेरे खेत बाग़ ये तालाब मेरी थाती

ये नीम पीपल ये महुआ ये बरगद

माँ भाभी बाबू जी जीवन की बाती

 

त्योहार की लड़ियाँ जीवन बनाती

होली  दीवाली  उमंगे   ले  आती

धोती कुर्ते  का  सलीका  है प्यारा

शादी में हँस हँस के गाली दी जाती

 

नून तेल  चोखा  से बन जाये  बात

दो  जोड़ी कपड़े में निभ  जाये साथ

मेल  कराती  है  बेर  आम  इमली   

नौटंकी  देखन  में  कट  जाये  रात

 

एक  ही रजाई  में तीन - तीन लोग

ठाकुर जी को  लागे  गुड़  वाला भोग

गाँव  भर लगे  है चाचा भईया, काकी

सुंदर कितना है  जी रिश्तों  का  जोग

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com 

 

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