यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

ऐसे हालात में भी


ऐसे  हालात में  भी  तुम  सवाल करते हो
किस ज़माने के हो तुम आगे गाल करते हो

रह  करके   झूठों   में   बोलते  हो  सच
कैसे  आदमी  हो  ख़ुद पर ज़वाल करते हो

अपनों  ने एक  बार ही तो  चुप कराया है
एक सच के मरने  पे यूँ मलाल  करते हो

अपना घर  देके  फुटपाथ पे आ हँसते हो
क्या कहूँ कि बेवकूफ़ी या कमाल करते हो

जिनसे पहचान नहीं उनके  लिए लड़ते हो
आदमीयत ठीक पर इतना बवाल करते हो

पवन इस अदब ने तुमको बहुत सताया है
फिर भी मजलूमों को तुम जमाल करते हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50gmail.com    

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