ऐसे हालात में भी तुम सवाल करते हो
किस ज़माने के हो तुम
आगे गाल करते हो
रह करके झूठों में बोलते हो
सच
कैसे आदमी हो
ख़ुद पर ज़वाल करते हो
अपनों ने एक बार ही तो चुप कराया है
एक सच के मरने पे यूँ मलाल करते हो
अपना घर देके फुटपाथ पे आ हँसते हो
क्या कहूँ कि
बेवकूफ़ी या कमाल करते हो
जिनसे पहचान नहीं
उनके लिए लड़ते हो
आदमीयत ठीक पर इतना
बवाल करते हो
पवन इस अदब ने तुमको
बहुत सताया है
फिर भी मजलूमों को तुम
जमाल करते हो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50gmail.com
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