रामसखा शिवशक्ति स्वरूपा
गुण गावहिं तुम्हरे
सुरभूपा
जग उद्धारक शोक निवारक
राम में तुम्हरी भक्ति अनूपा
अनगिन काण्ड किये
जनहित में
बस गये तुलसी दास के
चित में
सुंदर काण्ड लिखे तुलसी तब
भक्ति से गाये जन-जन
छित में
सहज कृपालु हैं मारुति नन्दन
जा पर कृपा करें सो चन्दन
भक्ति शक्ति आरोग्य प्रदाता
महावीर का जग करे वन्दन
अस्त्र शस्त्र व शास्त्र के ज्ञाता
राम भजन प्रभु तुमको
भाता
दीन दुखी के तुम हो नायक
सब वर तुम्हरे द्वार से पाता
दो विवेक अज्ञान
को हर लो
अपनी भक्ति में हमको वर लो
है सहस्त्र वन्दन प्रभु तुमको
तुम्हरी शरण प्रभु
बाँह ये धर लो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें