प्यार में इस क़दर
इतना जो बिगड़ जाओगे
मेरी नज़रों से यूँ
झटके में
उतर जाओगे
मेरा सिन्दूर
लगा गैर के घर जाओगे
इतने नीचे
ऐसे यहाँ तक गिर जाओगे
हवस मिटते ही सनम
उसने तुम्हें छोड़ दिया
मगर अब हवस ही मिलेगी
जिधर जाओगे
प्यार मिलता है
जन्मों की दुआयें जो लगें
उसकों ठुकराओगे तो तड़प के मर जाओगे
जिसने पनाह दी चाहा उसे ही कत्ल किया
और फिर सोचते अल्लाह
के घर जाओगे
प्रेम की आह दुःख की
आह से भी भारी पवन
तमाम उम्र
भटकते ही रह
जाओगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
poetpawan50@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें