यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 20 अप्रैल 2020

मेरी नज़रों से


प्यार में इस क़दर इतना जो बिगड़ जाओगे
मेरी नज़रों से यूँ झटके  में  उतर  जाओगे

मेरा  सिन्दूर  लगा  गैर  के  घर  जाओगे
इतने  नीचे  ऐसे  यहाँ  तक गिर  जाओगे

हवस मिटते ही सनम उसने तुम्हें छोड़ दिया
मगर अब हवस ही  मिलेगी  जिधर जाओगे

प्यार मिलता है जन्मों  की दुआयें जो लगें
उसकों ठुकराओगे तो  तड़प के मर जाओगे

जिसने पनाह दी  चाहा उसे ही कत्ल  किया
और फिर सोचते  अल्लाह  के घर  जाओगे

प्रेम की आह दुःख की आह से भी भारी पवन
तमाम   उम्र   भटकते   ही  रह   जाओगे
 



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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