तुम्हारे बारे में सोचा था सुधर जाओगे
प्यार पाओगे तो
पक्का है निखर जाओगे
इतना मजबूर तुम्हें देखा तो ये समझा मैं
आज जरूर किसी दोस्त के घर जाओगे
प्यार में हार के कमाल तुमने कर डाला
अब तो जीतोगे ही जाओगे
जिधर जाओगे
प्रेम के प्यासे हो
भटकोगे बहुत भटकोगे
जाने कैसे कहाँ और कौन
नगर जाओगे
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gamail.com
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