यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

जीना क्यों


जीना  क्यों  ये  सवाल रखे हैं
तो  सुनो  ख़्वाब  पाल रखे हैं

एक  शादी  से  परेशां  हूँ  मैं
तुमने  कितने  बवाल  रखे हैं

ये तो  चुभते  सुकून  देते भी
शब्द  कितने  कमाल  रखे हैं

हर अदा  बढ़ के एक  दूजे से
हुस्न के  कितने जाल  रखे हैं

जब भी देखो रिझाती रहती हो
तभी  डिम्पल  से गाल रखे हैं

जब से देखा है तुम्हें सच बोलूँ
बहुत  से  काम   टाल रखे हैं

तुम मिली तो लगा  जवानी है
तब से खुद को जमाल  रखे हैं

ये जो कविताएं  लिखी हैं मैंने
इसमें दुःख – दर्द  डाल रखे हैं

मौत आती  है लौट  जाती है
ख़्वाबों के  ढेरों  ढाल  रखे हैं


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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