उसको लगा कि वक़्त बिखरने का आ गया
दिल ने कहा कि वक़्त सिमटने का आ गया
झगड़े से बराबर ही डरता रहा हूँ
मैं
ये प्यार क्या हुआ
कि दम लड़ने का आ गया
जीने का हुनर सीखते वर्षों
गुज़र गये
तू क्या मिली सलीका
भी मरने का आया गया
तू कल गयी तो आज ही ख्याल आया ये
लगाने लगा है वक़्त गुज़रने
का आ गया
मैंने कहा कि खुद से
कि भरोसा मुझे खुद पर
फिर दिल ने कहा वक़्त है
बढ़ने का आ गया
जिस पर फ़िदा थे सब वो मेरे पास आ गयी
अब दोस्तों का वक़्त भी जलने का आ गया
जिसको था चाहा उसको
उसकी चाह मिल गयी
फिर दिल को लगा वक़्त संवरने का आ गया
माँ बाऊ जी ने हाथ
जो हँस कर रखा सर पे
हिय बोल पड़ा वक़्त निखरने का आ गया
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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