यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 27 अप्रैल 2020

उसको लगा कि वक़्त


उसको लगा कि  वक़्त  बिखरने  का आ गया
दिल ने कहा कि  वक़्त सिमटने  का आ गया

झगड़े  से   बराबर  ही   डरता  रहा  हूँ  मैं
ये प्यार क्या हुआ कि दम लड़ने का आ गया

जीने  का   हुनर   सीखते  वर्षों  गुज़र  गये
तू क्या मिली सलीका भी मरने का आया गया

तू  कल  गयी  तो  आज  ही ख्याल आया ये
लगाने  लगा  है  वक़्त  गुज़रने  का आ गया

मैंने कहा कि खुद से कि भरोसा  मुझे खुद पर
फिर दिल ने कहा  वक़्त  है बढ़ने का आ गया

जिस पर  फ़िदा थे  सब वो मेरे पास आ गयी
अब दोस्तों का  वक़्त भी  जलने का आ गया

जिसको था चाहा उसको उसकी चाह मिल गयी
फिर दिल को लगा  वक़्त संवरने का आ गया

माँ बाऊ  जी ने हाथ जो हँस  कर रखा सर पे
हिय  बोल पड़ा  वक़्त  निखरने  का आ गया



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com    

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