जहाँ न्याय की बात
होती है
जहाँ समानता की बात
होती है
जहाँ बात-बात पर ईश्वर
की
प्रतिज्ञा ली जाती
जाती है
जहाँ अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता का गान
प्रतिक्षण गाया जाता
है
जहाँ गरीब शब्द के
लिए
मुखिया व्यक्त करता
है दया
देता है भाषण और
करता है अनेक
घोषणाएँ
जिन्हें गरीब न कभी
सुन पाता है
और न कभी जान पाता
है कि
एक व्यवस्था उसके
बारे में
इतना सोचती और
प्रयास करती है
वह कभी झोपड़ी, कभी फुटपाथ
पर
किसी अनजान बीमारी
या भूख से
मर जाता है, उसी एक
व्यवस्था के कारण
उसका कोई समाचार भी
नहीं बनता
और उस व्यवस्था को
सबसे महान और बड़ी
व्यवस्था बताकर
जोड़ा जाता है दिन प्रति
दिन
देश की महानता के
साथ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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