तुम मेरे प्रेम की
प्रथम भूमिका
नैन कहें तू मेरी सारिका
मिली तो पूरी पुस्तक लेकर
लगा तुम ही मेरी नायिका
सोचा कथ्य तो बिखर गया
है
शिल्प मिला तो निखर गया है
ऐसे में फिर
प्रेम हँसा तो
कितनों को ही आखर गया है
प्रेम मिला तो तन मन
खिल गया
चाह से भी उत्तम वर मिल गया
ऐसे में कुछ
अपने
जले यूँ
जैसे उनके गाल से तिल गया
सारे दुखों का जैसे हल
मिला
चाहत वाला आज ही कल मिला
पुण्य के भाव जगे हैं हिय में
जैसे पावन गंगा जल
मिला
प्रेम मिले सो
हैं बड़भागी
अमर हुए हैं प्रेम के बागी
जिसको प्रेम मिला जीवन में
उसकी सोयी किस्मत जागी
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – poetpawan50@gmail.com
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