नाउम्मीदियों के बीच
ही उम्मीद छुपी है
हो कर शांत सोचना तकदीर छुपी है
राह जो तू मुश्किलों
से भरा समझता रहा
उस राह में ही जीत की शमशीर छुपी है
उसकी हँसी उड़ाता जो हर वक़्त हँसे है
उस हँसी के पीछे ही इक पीर छुपी है
ज्यादा बुरा नहीं लगा ये हारना
तेरा
इस हार में देखा हूँ तेरी
जीत छुपी हैं
ये हूक ये हिचकी ये
दरद जो भी हो रहा
उसके लिए इन सब में तेरी
प्रीत छुपी है
उसने तुझे छोड़ा तो
ना मायूस हो पवन
तेरे उरूज़ की वहीं
तदबीर छुपी है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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