यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 30 मार्च 2020

भोले गाँव के सभी शिकारी


भोले गाँव के सभी शिकारी
सब ही जगह है दुनियादारी
किस देसी की सब से यारी
माटी  बोली  पवन तिवारी

कविता में घुस आये जुआरी
व्यंग्य के नाम पे है मकारी
पावन शब्द हैं किसके दुआरी
अक्षर  बोले  पवन  तिवारी

कविता में  जिनके चिंगारी
फैले पढ़ते   ही  उजियारी
कितने पूछे  बारी – बारी
जिह्वा बोले  पवन तिवारी

कविता से किसकी  है यारी
पैंट पे किसकी  धोती भारी
हिंदी का है   कौन  पुजारी
अधर कहें सब पवन तिवारी

जिसकी है बस एक  सवारी
हिन्दी है बस  एक  दुलारी
गाँव की कथा कहे को प्यारी
भाषा बोले पवन तिवारी

कथ्य से जिसकी  नातेदारी
खेलें  उपन्यास  सी  पारी
संवादों  की  मीठी   आरी
बोली कहानी पवन  तिवारी

शब्दों  की भी  मारी  मारी
सब  बैठें  हैं  लिये  कटारी
गीतों  में  पावनता   न्यारी
छंद कहें  हैं  पवन  तिवारी

अपनी  बड़ाई  सबको  प्यारी
एक से एक हैं हस्तियाँ न्यारी
पवन पुष्प  भर बाग़  बड़ी है
कहें  बीर  बहु  पवन तिवारी

पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८     


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