भोले गाँव के सभी
शिकारी
सब ही जगह है
दुनियादारी
किस देसी की सब से
यारी
माटी बोली पवन तिवारी
कविता में घुस आये
जुआरी
व्यंग्य के नाम पे
है मकारी
पावन शब्द हैं किसके
दुआरी
अक्षर बोले पवन
तिवारी
कविता में जिनके चिंगारी
फैले पढ़ते ही उजियारी
कितने पूछे बारी – बारी
जिह्वा बोले पवन तिवारी
कविता से किसकी है यारी
पैंट पे किसकी धोती भारी
हिंदी का है कौन पुजारी
अधर कहें सब पवन
तिवारी
जिसकी है बस एक सवारी
हिन्दी है बस एक दुलारी
गाँव की कथा कहे को
प्यारी
भाषा बोले पवन
तिवारी
कथ्य से जिसकी नातेदारी
खेलें उपन्यास सी पारी
संवादों की मीठी
आरी
बोली कहानी पवन तिवारी
शब्दों की भी मारी मारी
सब बैठें हैं लिये
कटारी
गीतों में पावनता
न्यारी
छंद कहें हैं पवन
तिवारी
अपनी बड़ाई सबको प्यारी
एक से एक हैं हस्तियाँ
न्यारी
पवन पुष्प भर बाग़ बड़ी
है
कहें बीर बहु
पवन तिवारी
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
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