शब्द कुछ को रुलाते
हैं.
शब्द कुछ को
गुदगुदाते हैं.
कुछ को मौन करा देते
हैं.
कुछ को बोलने पर
मजबूर कर देते हैं.
कुछ को गुस्सा
दिलाते हैं.
कुछ को भागने पर
मजबूर कर देते हैं .
कुछ को पास बुलाते
हैं.
कुछ ऐसे भी हैं जिन
पर,
शब्दों का कोई असर
नहीं होता.
मैंने कईयों से उनके
बारे में पूछा,
सब मौन साधे आगे बढ़
जाते.
एक दिन खीझ कर एक
पागल
से पूछ लिया, वह जोर
से हँसा;
और बोला- संसद जाओ !
तब से मैं मौन हूँ !
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणुडाक-
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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