नया हूँ तो नये तेवर में
बात कहता हूँ
दिन को मैं वार और
रात को शब कहता हूँ
मेरी मकबूलियत का राज सुनो कहता हूँ
मैं ही वो ख़ास हूँ
जो आम बात कहता हूँ
एक ही बात को
पूछे हो कई लहजे में
मैं भी फिर रात को हर
बार रात कहता हूँ
उनके चलने को कुछ एक ठुमक कहते हैं
मेरा अंदाज अलग मैं तो धमक
कहता हूँ
ऐसा एक तबका है स्तम्भ बना फिरता है
मुझसे पूछे हो तो
सुन लो दलाल कहता हूँ
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक –
पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
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