जिसे तुम ख़ास कहते
हो तुम्हारा भ्रम रहा होगा
जरूरत ना रही होगी
किनारा कर लिया होगा
जिसे नेकी हो तुम
समझे वो मजबूरी भी हो सकती
जो खाना खा रहे हो
कल की शादी का बचा होगा
ये दुश्मन हैं
बचो इससे जरुरी है
नहीं वो हो
कि हो सकता है वो
दुश्मन कि जिसने ये कहा होगा
आज का प्यार बस यूँ
ही इसे दिल पर नहीं लेना
जमाने में जरुरी
ना जिसे चाहो पिया
होगा
बस उसके नाम पर अक्सर अधूरे काम छोड़े हैं
वो तुमसे रूठ गया
खुश रहो अच्छा किया होगा
खालिस सच है प्यास
समंदर बुझा नहीं सकता
खुशी मिलेगी गर
अब
भी दरिया होगा
पवन तिवारी
संवाद ७७१८०८०९७८
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