नज़रिया चोरावाला
करेजा कै चोर हो
झुठवै मचावै जी ढेर
सारा सोर हो
कईसे, कहाँ, केसे
होई जाई कब हो
नेहिया पे कउनो भी
चले नाहीं जोर हो
नेहिया के महिमा कै नाहीं
कउनो छोर हो
गावल करी तS हो जाई
भोर हो
जेतना छुपावा खुलत
जाला वतना
बिना कुछ कहे ही हो
जाला सोर हो
महकाला अइसे जइसे
थोड़ा–थोड़ा झोर हो
चुम्बक सा खींच लेला
ऊ अपने ओर हो
पथरो पे दूब नेहिया
देले उगाय हो
चाहे कइसनों केहू
होवै, केतनो कठोर हो
प्यार में तS हिल जाला सनम पोर-पोर हो
बिना बदरी के नाचे
मन जइसे मोर हो
नेहिया मिलल है जेके
बड़ा भागसाली
जिनगी में ओकरे तS
हो जाला अजोर हो
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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