यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

नज़रिया चोरावाला .... एक अवधी प्रेम गीत


नज़रिया चोरावाला करेजा कै चोर हो
झुठवै मचावै जी ढेर सारा सोर हो
कईसे, कहाँ, केसे होई जाई कब हो
नेहिया पे कउनो भी चले नाहीं जोर हो

नेहिया के महिमा कै नाहीं कउनो छोर हो
गावल करी तS हो जाई भोर हो
जेतना छुपावा खुलत जाला वतना
बिना कुछ कहे ही हो जाला सोर हो

महकाला अइसे जइसे थोड़ा–थोड़ा झोर हो
चुम्बक सा खींच लेला ऊ अपने ओर हो
पथरो पे दूब नेहिया देले उगाय हो
चाहे कइसनों केहू होवै, केतनो कठोर हो

प्यार में तS हिल जाला सनम पोर-पोर हो
बिना बदरी के नाचे मन जइसे मोर हो
नेहिया मिलल है जेके बड़ा भागसाली
जिनगी में ओकरे तS हो जाला अजोर हो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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