ये जग दिल को दुखाना
चाहता है
मगर दिल भी
लगाना चाहता है
तुम्हारे जान का दुश्मन
भी होके
तुम्हें अपना
बताना चाहता है
जो खुद ही दूर तुमसे हो गया है
गरज पर पास आना
चाहता है
कभी लूटा था जिन
अपनों ने मुझको
बलंदी आयी तो अपना
जताना चाहता है
वो दुश्मन ठीक है
दुश्मन ही रखो
सलीके से निभाना
चाहता है
कौन वो प्यार
पाना
चाहता है
कहो सच वो
सताना चाहता है
ज़ख्म हर बार ही
तुमको दिखाता
बचो तुमको
डराना चाहता हूँ
बताये बिन ही वो घर
छोड़ आया
तो सच तुमको दिवाना चाहता है
हुये मकबूल
तो बदला पवन वो
वो दिल
का राज पाना चाहता है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
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