यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 23 दिसंबर 2019

ये जग दिल को दुखाना चाहता है


ये जग दिल को दुखाना चाहता है
मगर दिल भी लगाना  चाहता  है

तुम्हारे  जान का दुश्मन  भी होके
तुम्हें  अपना   बताना  चाहता है

जो खुद ही दूर  तुमसे हो गया है
गरज पर  पास आना  चाहता  है

कभी लूटा था जिन अपनों ने मुझको
बलंदी आयी तो अपना जताना चाहता है

वो दुश्मन ठीक है दुश्मन ही रखो
सलीके  से   निभाना  चाहता  है

कौन  वो  प्यार  पाना  चाहता है
कहो सच  वो  सताना  चाहता  है

ज़ख्म हर बार ही तुमको दिखाता
बचो  तुमको  डराना  चाहता  हूँ

बताये बिन ही वो घर छोड़ आया
तो सच तुमको दिवाना  चाहता है

हुये  मकबूल  तो  बदला  पवन  वो
वो  दिल  का  राज पाना  चाहता है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८

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