यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

पूछो तो कहते हैं


पूछो  तो  कहते  हैं  कोई  बात नहीं है
नाम जो लो कहते उसकी औकात नहीं है

मेरे  गीतों  में  सब  तुम्हरे  उत्तर  हैं
अलग  से कोई मेरे पास जवाब  नहीं है

जो  भी  सफाई दे सकता दी कविता में 
और  कहीं जाकर बोलूँ मेरी जात नहीं है

तुम्हें  लगा  अब  मुझे पता था पहले से
इसके  सिवा कहीं पर और शबाब नहीं है

जब  भी  आयें  गीत  उन्हें हम गा लेते
दिल  गीतों  का प्रेमी कोई नवाब नहीं है

कल  ही मिला था आज भुला देगा हमको
एक हक़ीकत  है हम कोई ख़्वाब नहीं  है

हँस  लेने  दो  उसकी  ऐसी  बातों   पर
पी जायेगा हमहो हम कोई  आब  नहीं है

किसी  के  भी कंधे पर रखकर सर रोऊँ
इतना  हल्का भी अपना जज्बात नहीं है



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

शहर ने तुमको कार दिया

शहर ने  तुमको   कार दिया
गाँव ने  हमको संस्कार दिया
धूल  ने हमको आबाद किया
धुएं ने  तुमको  बर्बाद किया

शहर  ने दी  गुलामी  की  भाषा
गाँव  सिखाया माटी की परिभाषा
आप ने किया माँ-बाप से किनारा
गाँव ने बनाया माँ-बाप का सहारा

शहर सिखाता बनो बॉस का प्यारा
गाँव सिखाता  बनो घर का दुलारा
शहर  कहे  पहले  अपने को देखो
गाँव  कहे  पहले  अपनों को देखो

माना कि तुम समन्दर सरिता मगर हम भी
माना कि तुम विशाल पर कम नहीं हम भी
सरिता का जल तो जग में हर कोई पी सके
सोचो  तुम्हारा  जल  मगर कोई न पी सके

पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत
  

शनिवार, 27 जुलाई 2019

मेरे गीत अधर के प्यारे


मेरे गीत अधर के प्यारे
हर प्रेमी के उर के दुलारे
मिला सिंहासन प्रेम का इसको
मेरे  मीत  नहीं  बंजारे  

जो हैं प्रेम के मारे – मारे
गाते  रहते  गीत  हमारे
प्रेमी को  सम्बल  देते हैं
ऐसे  गीत  हमारे  न्यारे

प्रेम  पुकारे   आरे - आरे
गीत मेरा तू हम हैं तिहारे
साथ मिलें जो दुःख भी सुख हो
प्रेमी  नैनों  के  हम तारे  

गीत मेरे निर्बल  के सहारे
गाये माझी नदी के किनारे
श्रमिक किसान की पीड़ा हर ले
सब  गाते हैं तू  भी गा रे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत




बुधवार, 24 जुलाई 2019

माना कि शहर के लिये


माना  कि  शहर के  लिये  मैं थोड़ा  हैरानी हूँ
मगर बसता जहाँ  भारत मैं उसकी तो रवानी हूँ

नये  लिबास  वालों  मेरी धोती पर जो हँसते हो
कभी सोचा तुम्हारे पुरखों के अना की निशानी हूँ

पुराना  लग रहा हूँ जानता हूँ और अंदाज़े बयाँ भी
तुम्हारे यादों की ही तुम्हारे सामने ज़िंदा कहानी हूँ

मैं देसी हूँ मैं फक्कड़ हूँ और भी जो भी कुछ भी हूँ
मगर  सच है  पुराने  गाँव  की  सच्ची जवानी हूँ

तुम्हारे  दोस्त  की ब हना जो भागी है सुना उसको
है  पापा  गाँव का अच्छा है मैं उसकी ही दीवानी हूँ  

शहर  के  हो  तभी  तो  वृद्धा आश्रम छोड़ आते हो
उदाहरण  में हम  ही आते  तभी  तो   परेशानी हूँ


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

गुरुवार, 18 जुलाई 2019

गाँव के हो ठीक वरना बूझोगे क्या ?


धान की रोपाई में
गाय की चराई में
आम की तोड़ाई में
कंचे की खेलाई में
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


तरबूजा चुराने में
काजर लगवाने में
साईकिल भगाने में
मुँह बना चिढ़ाने में
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


चोर को लतियाने में
उधार पान खाने में
बन्दर को चिढ़ाने में
मार खा गरियाने में
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


नद्दी नहाने में
भइया से बहाने में
भउजी से बतियाने में
मोटू को दौड़ाने में
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


बरात में नचाने का
नहाते हुए गाने का
अंगूठा दिखाने का
लेमनचूस देकर 
बच्चों को फुसलाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


अम्मा को मनाने का
दीदी को सताने का
बाबू जी के सामने 
मुँह लटकाने का
भइया से हँस के 
बात मनवाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या


खेत में शौच को 
लोटा लेके जाने का
साथी को जोर से 
टुकार के बुलाने का
लड़की को देख 
झूठ-मूठ शरमाने का
चोरी का बताशा 
अकेले में खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या


मंगनी का मोटर 
साइकिल भगाने का
नई घड़ी हाथ लगा 
बार-बार दिखाने का
बात बात में लम्बी 
चौड़ी खेती बताने का
अपरिचित से भी 
तम्बाकू माँगकर खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


भइया की ससुराल में 
लड़की पटाने का
कागज़ की नाव 
नाली में चलाने का
दूसरे के ट्यूबेल में 
कूद कर नहाने का
माचिस की तीली से 
पटाखा बनाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


चूना लगा आम 
भूसे में पकाने का
खटिया पे बैठकर 
चन्ना चबाने का
साइकिल की रिम 
घिस–घिस चमकाने का
जीभ मोड़ उंगली से 
सीटी बजाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


पिंजरे में बंद 
तोते को चिढ़ाने का  
दोस्त के पैसे से 
गोलगप्पे खाने का
मिठाई की लालच में 
लड्डू बनवाने का
भइया की साली से 
पानी मंगवाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?



दूसरे से अपनी 
चिट्ठी पढ़वाने का
दूसरे के बाग़ से 
आम तोड़वाने का
भाई को जोर से 
मार कर जगाने का
दीदी वाली चुपके से 
क्रीम लगाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


दिवाली में दिया 
फूंक के बुझाने का
एक से रंग ले 
दूसरे को लगाने का
अँधेरे में जोर से 
चिल्लाकर डराने का
मँगनी की कोट 
पहन बरात जाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


सरयू जी में नाक पकड़ 
डुबकी लगाने का
मेले में धीरे से 
मूंगफली उड़ाने का
जाड़े में गर्म आलू 
फूँक-फूँक खाने का
गैरों से चाचा भइया 
कह के बतियाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


दस की नोट थमा 
मामला सुलटाने का
पत्नी से रोज-रोज 
मालिश करवाने का
बिना काम ऐसे ही 
ससुराल जाने का
ऐसे ही साले को 
काम फुरमाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


दूसरे की आबादी में 
पेड़ लगवाने का
कारिंदे से पड़ोसी की 
मेड़ छँटवाने का
पहले मरवाकर फिर 
माँफी मँगवाने का
सामने बड़ाई 
पीछे से गरियाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


ताव से ५० ग्राम 
जिलेबी मँगाने का
भाव-ताव करके 
चुपचाप चले जाने का
दूसरे से लड़ाकर 
पड़ोसी को फंसाने का
गरीबी में मुस्काके 
चोखाभात खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


नूनभात में थोड़ा 
कडुवा तेल डलाने का
सत्तू में थोड़ा सा 
सिरका मिलाने का
दाने के साथ हरा 
मिर्चा चबाने का
आम की डाली को 
जोर से हिलाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


बहन के गुल्लक से 
पइसा उड़ाने का
और पूछने पर 
भोला बन जाने का
चाय में अलग से 
मलाई डलवाने का
अम्मा के अँचरा से 
पइसा हथियाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


न्यौता में जल्दी-जल्दी 
चूरा-दही खाने का
इशारे से पूड़ी और 
सब्जी मँगाने का
खीर वाली दोनिया 
दुबारा मँगाने का
कोहड़े के बाद 
आलू गोभी खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


विवाह में औरतों से 
खूब गाली पाने का
उस पर भी हँसते हुए 
दाल-भात खाने का
एक साथ कईयों से 
नैना भिड़ाने का
और बैंड बाजे पे 
नागिन नृत्य दिखाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


खिचड़ी के समय 
नखरा दिखाने का
जल्दी से अंगूठी,चैन 
घड़ी मंगवाने का
लड़के के मामा का 
झूठा रौब दिखाने का
लड़की के मामा को 
इशारे से बुलाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?



भीगते हुए सावन 
में कज़री गाने का
औ हुंमच करके 
लम्बा पेंग लगाने का
झूला से गिरने पर 
धीरे-२ सोहराने का
दूसरा जो देखे 
खिसियाके मुस्काने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?



शादी में माँग करके
सेंट लगाने का
प्रेमिका को बेर से
मार कर बुलाने का
एक बिस्कुट तोड़ करके
कई मित्र खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


चरती हुई बकरी का
चुपके दूध लगाने का
दवात से घिस करके
पटरी चमकाने का
आम खाके गुठली
भाई को थमाने का
झंडा लेकर १५ अगस्त
विद्यालय जाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?



गन्ने के रस में
दही मिलाने का
जुगाड़ से दो बार
प्रसाद माँग खाने का
पड़ोसन से बहू की
बुराई बताने का
मेरी सास अख्खड़ हैं
सबको सुनाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


पकौड़ी के साथ
तीखी चटनी खाने का
तीखा लगे खाते
हुए सिसियाने का
और इशारे से फिर
मीठी चटनी मंगाने का
और फिर कहना
दो समोसा लाने का
 है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


कुल्हड़ की चाय से
होठ जलाने का
फालतू समय में
बुझनी बुझाने का
मूली में ऐसे ही
नमक लगा खाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


सीसे में देख करके
बिंदी लगाने का
दो चोटी गाँछ करके
बार - बार हिलाने का
अकेले में शीश देख
सकल बनाने का
मुफ्त का पावडर
इधर उधर लगाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


पतली वाली दाल में
ज्यादा घी डलवाने का
सब्जी नहीं होने पर
अचार मँगवाने का
मट्ठे में अलग से
नमक डलवाने का
साग भात खाकर फिर
उंगली चाट जाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?


अम्मा के हाथों से 
दूध भात खाने का 
भउजी के हाथों से 
काजर लगवाने का 
कुत्ते को आखिर में 
कौरा खिलाने का 
मंदिर में उछल करके 
घंटा बजाने का
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक
वरना बूझोगे क्या ?




गाँव की रवानी में
और जिंदगानी में
बोली और बानी में
गाँव की कहानी में
है बड़ा मज़ा
गाँव के हो ठीक 
वरना बूझोगे क्या ?


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत