जब भीषण अवरोधों से कोई आम आदमी उबरेगा
तोड़ सभी दुःख के बंधन जब आम आदमी गरजेगा
प्रेरणा के नव नायक का जब अभिनंदन करना होगा
जन-मन के वाणी से सहज तब उदधृत गीत मेरा
होगा
सारी आशाओं के पर्वत जब भी जलधि में डूबेंगे
जीने को लालायित मन ही जब जीवन से उबेंगे
अंधकार प्रति दिशा रहेगा ऊषा मार्ग भ्रमित
होगा
आशा से तब भरे अधर पर केवल गीत मेरा होगा
जब भी प्रेम विखंडित होगा नयन नीर टपकेंगे
उर के स्पंदित पीड़ा से रोम - रोम बरसेंगे
ऐसे में प्रेमी मन के जब साथ नहीं कोई
होगा
उसके उर की औषधि का तब केवल गीत मेरा होगा
सुख के रंग सभी ने भोगे मैंने बस पीड़ा भोगी
बहुत लताड़ा है जीवन ने, यूँ ही नहीं बना जोगी
मुझको भी तो पता नहीं था शब्द मेरा साथी
होगा
आँसू - आँसू शब्द बनेंगे, जीवन गीत मेरा होगा
जब भी निजी स्वार्थ की खातिर अपने राष्ट्र
से छल होगा
जयचंदों की मिली भगत से बैरी का मनबढ़ होगा
जब-जब भारत माँ के सिंहों को जागृत
करना होगा
शत्रु के वक्षस्थल पे तिरंगा वाला गीत
मेरा होगा
पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८
Poetpawan50@gmail.com
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