यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 19 जुलाई 2018

हमने प्यार कर लिया











हमने प्यार कर लिया क्या गुनाह कर लिया
ऐतबार  कर  लिया क्या गुनाह कर लिया
उम्र  ही  ऐसी  है  दिल  बहक जो गया
उसने पूछा है प्यार, तो इक़रार कर लिया

हमने  इक दूसरे पे ऐतबार  कर  लिया
इक़रार बार - बार कई  बार  कर लिया
इस क़दर  चाहतों का नशा  चढ़  गया
हमने ख़ुद को ही ख़ुद बेक़ऱार कर लिया

हमनें वादा  सनम  कई हज़ार कर लिया
ख़ुद को इक दूसरे पर निसार कर लिया
अब तो बस प्यारी ही सारी दुनिया लगे
इसमें ही जीना मरना स्वीकार कर लिया

पवन तिवारी
संवाद - ७७१८०८०९७८


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