तुम्हें देखूँ जब भी तो लगता ऐसे
कि
जैसे
मेरा
सब
तुम्हारे लिए है
देखा सपन प्रेम का जो भी मैंने
ये नैनों का सपना
तुम्हारे लिए है
रहा था मेरा जो सदा
ज़िंदगी में
वो सब भी मेरा
तुम्हारे लिए है
कैसे बताऊँ तुम्हें
हद से चाहूँ
मेरा घर मेरा दिल
तुम्हारे लिए है
तुम्हारे लिए गीत
गाये ये मैंने
मेरी हर ग़ज़ल भी
तुम्हारे लिए है
मेरी धड़कनों में
तुम्हारा ही स्वर है
मेरी शाम-सुबह
तुम्हारे लिए है
तुम्हारे लिए ही
मेरा हँसना रोना
ये साँसों की गर्मी
तुम्हारे लिए है
मेरा कुछ रहा ना हुआ
सब तुम्हारा
ये मेरी ज़िंदगी बस
तुम्हारे लिए है
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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