तुम कहानी मैं उसका
बस इक पात्र हूँ
पात्र हूँ पर चरित्र में उद्दात हूँ
मेरे बिन नाम
की बस रहेगी कथा
किन्तु जीवित कहानी
का मैं प्राण हूँ
तुमको गौरव है
सौन्दर्य की देवी हो
मानता रूप की , प्रेम की कवी हो
किन्तु , मैं शब्द
हूँ प्रेम के रूप का
शब्द बिन तुम प्रिये
नाम की कवी हो
प्रेम के रामायण की अनुवाद
हो
तुम तो मानस हो जग
में अपवाद हो
मुझको तुलसी समझ के
स्वीकारो प्रिये
प्रेम अपना ऋचाओं
का संवाद हो
कामपत्री हो तुम ,
मैं अनंग प्रिये
तुम धरा हो
तो मैं हूँ अनन्त प्रिये
आचरण , इच्छा , मन
है पवित्र प्रिये
है निवेदन , बना लो
मुझे, कंत प्रिये
पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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