अर्चन की
सुमन सी लगती तुम
अनुरक्ति के स्वर से लगती तुम
क्या
करूँ प्रशंसा अनुपम
हो
राधा की छवि
सी लगती तुम
तुम दिखो तो दिन भर तृप्त रहूँ
तुम मिलो दिनों तक स्वस्थ रहूँ
तुमसे
संवाद जो हो जाए
मैं मुदित कई निशि – दिवस रहूँ
कुछ ऐसी माया
है तुम्हरी
कुछ ऐसी काया
है तुम्हरी
ये
प्रणय तुम्हारा है ऐसा
हर सुमुखी
में छवि है तुम्हरी
तुम मिली तुम्हारा प्रणय मिला
जीवन का हल फिर सरल मिला
उमड़ा
जीवन में हर्ष
अनंत
जैसे
प्रभु का हो वरद मिला
पवन तिवारी
सम्पर्क –
७७१८०८०९७८
poetpawan50@gmail.com
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