यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 4 जनवरी 2018

हाँ, मोहब्बत हो गयी तो हो गयी है








































भूल थी , कहते  खता  तुम  हो  गयी  है
देखो जनमत,हो गयी तो हो गयी है  

बोल दो सच ,तो वहाँ बच जाओगे
जुर्मे-सोहबत,हो गयी तो हो गयी है

जो नहीं  मैं, वो  समझता है मुझे  सारा  जहाँ  
लोगों हैं लोगों में गफ़लत,हो गयी तो हो गयी है

झूठ कब तक बोलूँगा,कब तक छुपेगी
हाँ, मोहब्बत हो गयी तो हो गयी है

इक मोहब्बत के लिए हर पल जुबाँ शर्मिंदा हो
जी मुकर सकता नहीं,सच,हो गयी तो हो गयी है

बात पुरानी,जाने कब की,अब तक,वहीं पे अटके हो
मान गये सब,तुम्हीं असहमत,हो गयी तो हो गयी है

पवन तिवारी
सम्पर्क 7718080978
poetpawan50@gmail.com

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