भूल थी , कहते खता तुम हो गयी है
देखो जनमत,हो गयी
तो हो गयी है
बोल दो सच ,तो वहाँ बच
जाओगे
जुर्मे-सोहबत,हो गयी
तो हो गयी है
जो नहीं मैं, वो समझता है मुझे सारा जहाँ
लोगों हैं लोगों में गफ़लत,हो गयी तो हो गयी है
झूठ कब तक
बोलूँगा,कब तक छुपेगी
हाँ, मोहब्बत हो गयी
तो हो गयी है
इक मोहब्बत के लिए हर
पल जुबाँ शर्मिंदा हो
जी मुकर सकता
नहीं,सच,हो गयी तो हो गयी है
बात पुरानी,जाने कब की,अब
तक,वहीं पे अटके हो
मान गये सब,तुम्हीं असहमत,हो गयी तो हो गयी है
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com
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