दिल के वे मामलात को करने नहीं देते
कहते हैं खुश रहो मगर रहने नहीं देते
कहते हैं खुश रहो मगर रहने नहीं देते
गम ये नहीं है कि
कभी भी मार देते हैं
गम ये है कि वो मार
के मरने नहीं देते
कुछ दोस्त अपने
स्वार्थ में इतने हुए अंधे
दुश्मन जो आये सुलह
को करने नहीं देते
देते हैं वे आशीष कि
फूलो फलो तुम खूब
पर एक फूल को भी वो खिलने नहीं देते
दुश्मनों से दोस्ती
का वक़्त आ गया
दोस्त ही अब दोस्त
को बढ़ने नहीं देते
ज्यादा भी नहीं ठीक 'पवन' दोस्ती में प्यार
लग जाए अगर आग तो
बुझने नहीं देते
पवन तिवारी
सम्पर्क
– 7718080978
ईमेल- poetpawan50@gmail.com
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