यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 23 जून 2017

आते जाते यूं ही मिला कीजिए






































आते जाते यूं ही मिला कीजिए
प्यार हो जाएगा सिलसिला कीजिए

चाहते हैं बुरेपन से बचना अगर
आईनों से बराबर मिला कीजिये

चाहते दोस्ती गर सलामत रहे
आमने सामने फिर गिला कीजिए

वक्त का क्या पता कब चटक जाए वो
अच्छे वक्त में झुककर मिला कीजिए

खिलते फूलों पर ही सबके रहती नजर
फूलों सा खिलखिलाकर मिला कीजिए

यूं उदासी से कुछ बात बनती नहीं
जब भी मिलिए हँस कर मिला कीजिए

यूँ जो जड़ होंगे तो काट देगा कोई
जान है आप में तो हिला कीजिए

कौन क्या है,कहाँ काम किससे पड़े
जो मिलता है अच्छा सिला कीजिये

जिंदगी का है क्या कल रहे ना रहें
आते जाते ‘पवन’ बस मिला कीजिए


पवन तिवारी 
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978

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