आते जाते यूं ही मिला कीजिए
प्यार हो जाएगा सिलसिला कीजिए
चाहते हैं बुरेपन से बचना अगर
आईनों से बराबर मिला कीजिये
चाहते दोस्ती गर सलामत रहे
आमने सामने फिर गिला कीजिए
वक्त का क्या पता कब चटक जाए वो
अच्छे वक्त में झुककर मिला कीजिए
खिलते फूलों पर ही सबके रहती नजर
फूलों सा खिलखिलाकर मिला कीजिए
यूं उदासी से कुछ बात बनती नहीं
जब भी मिलिए हँस कर मिला कीजिए
यूँ जो जड़ होंगे तो काट देगा कोई
जान है आप में तो हिला कीजिए
कौन क्या है,कहाँ काम किससे पड़े
जो मिलता है अच्छा सिला कीजिये
कौन क्या है,कहाँ काम किससे पड़े
जो मिलता है अच्छा सिला कीजिये
जिंदगी का है क्या कल रहे ना रहें
आते जाते ‘पवन’ बस मिला कीजिए
पवन तिवारी
poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978
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