यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 17 जून 2017

आओ मिलो तो खुल के बेशकीमती सामान दे देंगे.




























आओ मिलो तो खुल के बेशकीमती सामान दे देंगे.

भटक रहे हो जिस प्यार के लिए वो प्यार दे देंगे.

बस एक बार तुम हाँ तो कहो.
हम अपना सारा मान दे देंगे.

तुम साथ चलने का वादा करो बस.
ये जिन्दगी ही तुम्हें सौगात दे देंगे.

मैं बस इतना जानता हूँ कि बस प्यार किया है.
तुम भी मुझसे प्यार करके देखो ईमान दे देंगे.

प्यार में दर्द क्या, खुशी क्या, रुसवाई क्या ?
जान से बढ़कर भी कुछ है तो वो भी दे देंगे.

ज़ख्म पाए हैं मगर, प्यार के आगे कुछ भी नहीं.
हम तो वो आशिक हैं कि इक - इक साँस दे देंगे.

अपने ज़ख्मों का हमें जरा भी मलाल नहीं.

‘पवन’ इक तुम जो रूठे तो कसम है जान दे देंगे.  

पवन तिवारी 

संपर्क – 7718080978 / 9029296907/ 9920758836
 ई-चिठ्ठी - poetpawan50@gmail.com

  

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